वेशभूषा के साथ आदमी के भीतर अपने देश की धरती का गौरव होना चाहिए। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण ने कहा है - जिसको न अपनी जाति का और देश का अभिमान है, वह नर नहीं है,पशु निरा और मृतक समान है। अपनों को हमेशा एक बात ध्यान में रखना चाहिए, जहां भी हम रहे, देश का गौरव साथ रहना चाहिए। ऐसा कोई कृत्य हमारे द्वारा नहीं होना चाहिए जिससे देश की संस्कृति को लज्जित होना पड़े। महाराणा प्रताप सिंह शिवाजी गुरु गोविंद, वीर दुर्गादास, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस आदि सैकड़ों ऐसे व्यक्तित्व का जीवन आदर्श आपके समक्ष है, जो अपने देशाचार के पालन एवं देश गौरव की जीवन कहानी कह रहा है। शिवाजी के संबंध में कहा जाता है - आर्य संस्कृति के रक्षा के लिए शिवाजी ने जहाज का काम किया है। उन शिवाजी के नाम से आज भी सैनिकों के रक्त में स्वदेश प्रेम का उफान आ जाता है। उनका जीवन कितना भक्ति प्रधान और सदाचारी था। उन्होंने अपना विशाल साम्राज्य गुरु के चरणों में अर्पित कर स्वयं उसके संचालक बन कर रहे थे। शिवाजी जितने बड़े वीर योद्धा थे, उतने ही सज्जन थे। एक बार सैनिकों ने एक मुसलमान सुंदरी को बंदी बनाकर उनके सामने उपस्थित किया, सोचा
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