भगवान आपसे कुछ नहीं चाहता। जब आप कुछ भी करते हैं सिर्फ उसका आनंद प्राप्त करने के लिए और उसमें से कुछ भी नहीं चाहते, वही सेवा है। सेवा से आपको तत्काल संतोष और दीर्घकालिक आनंद प्राप्त होता है। अपने भीतर भगवान को देखना ध्यान है और आपके बाजू के व्यक्ति में भगवान को देखना सेवा है। अक्सर लोगों में भय होता है कि दूसरे लोग उनका शोषण करेंगे यदि वह सेवा करेंगे। सनकी हुए बिना सजग और बुद्धिमान रहें। सेवा से योग्यता आती है और ध्यान के गहन में जाने में सहायता मिलती है और ध्यान से आपकी मुस्कुराहट वापस आ जाती है। सेवा और आध्यात्मिक अभ्यास साथ में चलते हैं। जितना आप ध्यान के गहन में जाएंगे उतनी ही दूसरों के साथ बांटने की इच्छा में वृद्धि होगी। जितनी आप दूसरों की सेवा करेंगे उतने ही गुण आप प्राप्त करेंगें। कई लोग सेवा इसलिये करते हैं क्योंकि उससे उन्हें लाभ प्राप्त होता है। जब लोग खुश होते हैं तो उन्हें लगता है कि अतीत में निश्चित ही उन्होंने सेवा की होगी। इसके विपरीत यदि आप खुश नहीं हैं तो फिर सेवा करें इससे आपकी चेतना का विस्तार होगा और आप खुशी का अनुभव करेंगें। जितना आप बांटेंगे उतनी ही शक्ति और प्रच
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