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Showing posts from August, 2019

प्रभावित करने का आसान तरीका। Prabhavit karne ka aasan tarika.

आपके चेहरे के भाव आपके कपड़ो से अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। हमारे काम शब्दों से ज्यादा तेज स्वर में बोलते हैं। आपकी मुस्कुराहट कहती है मैं आपको पसंद करता हूं, आपसे मिलकर मुझे खुशी होती है, आपको देखकर मैं खुश हुआ। वह असली मुस्कुराहट एक ऐसी मुस्कान जो दिल से आती है और दिल तक पहुंचती है और इसीलिए बाजार में उसकी कीमत बहुत ज्यादा होती है। मुस्कुराने वाले लोग ज्यादा अच्छी तरह से सीखा और बेच पाते हैं, और अपने बच्चों को ज्यादा सुखद ढंग से पाल पाते हैं। मुस्कान में तेवर से ज्यादा शक्ति होती है। इसीलिए कोई भी बात सिखाने के लिए प्रोत्साहन दंड की तुलना में ज्यादा प्रभावी तरीका होता है। मुस्कान का प्रभाव बहुत शक्तिशाली होता है चाहे वह प्रभाव हमें दिखाई दे या ना दे। आप फोन पर बातें करते समय मुस्कुराए आपकी "मुस्कुराहट" आपकी आवाज में सुनाई दे जाती है। जब लोगों को किसी काम में मजा नहीं आता है, तब तक वह उसमें सफल नहीं हो पाते। जब मैं मुस्कुराता हूं तो सचमुच जिंदादिल लगता हूं। मैंने लोगों की बुराई करना छोड़ दिया है। मैं आलोचना करने के बजाय प्रशंसा और सराहना करने लग

नाम से ही सारे दु:ख दूर हो जाएंगे। Naam say hi saree dukh dur ho jaenge.

एक बार की बात है माता अंजना हनुमान जी को कुटी में लिटाकर कहीं बाहर चली गई। थोड़ी देर में इन्हें बहुत तेज भूख लगी। इतने में आकाश में सूर्य भगवान उगते हुए दिखलायी दिये। इन्होंने समझा यह कोई लाल लाल सुंदर मीठा फल है। बस, एक ही छलांग में यह सूर्य भगवान के पास जा पहुंचे और उन्हें पकड़कर मुंह में रख लिया। सूर्य ग्रहण का दिन था। राहु सूर्य को ग्रसने के लिए उनके पास पहुंच रहा था। उसे देखकर हनुमानजी ने सोचा यह कोई काला फल है, इसीलिए उसकी और भी झपटे। राहु किसी तरह भागकर देवराज इंद्र के पास पहुंचा। उसने कांपते हुए स्वरों में इंद्रदेव से कहा, "भगवान! आज आपने यह कौन सा दूसरा राहु सूर्य को ग्रसने के लिए भेज दिया है ? यदि मैं भागा ना होता तो वह मुझे भी खा गया होता। राहु की बात सुनकर भगवान इंद्र को बड़ा अचंभा हुआ। वह अपने सफेद एरावत हाथी पर सवार हो हाथ में वज्र लिए बाहर निकले। उन्होंने देखा कि एक वानर बालक सूर्य को मुंह में दबाए आकाश में खेल रहा है। हनुमान ने भी सफेद एरावत सवार इंद्र को देखा। उन्होंने समझा कि यह भी कोई खाने लायक सफेद फल है। वह उधर भी झपट पड़े। यह देखकर देवराज इंद्र बहुत ही क्रोधि

मैं कौन हूं ? पहचानो। Main kaun kaun hoon pehchano.

इस संसार में मेरा कोई नहीं है और मैं किसी का नहीं हूं। यह विचार करना एकत्व भावना है। हजारों लोग ट्रेन में आपके साथ होने के बावजूद भी अपना कोई न हो और यदि कोई आपसे पूछे कि आपके साथ कौन-कौन हैं ? आप यही कहेंगे कि मैं अकेला आया हूं। इसी प्रकार जीव संसार में स्वजन आदि के साथ रहते हुए भी किसी के ममत्व में न फॅसकर एकत्व भावना से रहें। क्योंकि जीव अकेला आया है और अकेला ही जाने वाला। सलीम रोज खुदा को प्रार्थना करता है कि मुझे सौ सोना मुहर देना यदि एक भी कम की तो मैं नहीं लूंगा।उसके पड़ोसी ने परीक्षा करने के लिए उसे नब्बे सोना मुहर दी और उसने ले ली।तब पड़ोसी ने कहा - "तूने तो खुदा से कहा था कि एक भी सुना मोहर्रम होगी तो मैं नहीं लूंगा फिर अभी क्यों ले ली ?" सलीम ने कहा "इससे तुम्हें क्या मतलब ?" इस बात पर दोनों के बीच बहुत झगड़ा हुआ। तब पड़ोसी ने कहा कि, काजी के पास चलो वही हमारा न्याय करेंगे। तब सलीम ने कहा, नहीं, मैं नहीं आऊंगा, क्योंकि मेरे कपड़े अच्छे नहीं हैं, तब पड़ोसी ने उसे कपड़े लाकर दिए। तब सलीम ने पगड़ी मोजड़ी मांगी। पड़ोसी ने वह भी लाकर दिए, तब सलीम ने घोड़ा मां