तनाव का सबसे बड़ा कारण बचाव प्रवृत्ति है। जब मन स्थितियों को स्वीकार करने को तैयार नहीं होता, तो मन में हमेशा असुरक्षा का भय बैठा रहता है। हर स्थिति उसे डरावनी लगती है। मन निरमूल आशंकाओं से घिरा रहता है। इंसान खुद के प्रति अरुचिकर हो जाता है और वह किसी भी स्थिति को तनाव की वजह बना लेता है। ऐसा नहीं है कि ज्यादा बुरी स्थितियां ही तनाव का कारण बनती है। सामान्य - सी स्थिति भी तनाव का कारण बन सकती है और इंसान बुरी से बुरी स्थिति को भी स्वीकार कर ले, तो तनाव से बच सकता है। जब मन में स्वीकार भाव आता है, तो मन सामना करने के लिए तैयार हो जाता है और तनाव नहीं होता है। इसलिए इस स्थितियों से जितना भागने की कोशिश करेंगे, उतनी ही वे दिमाग पर ज्यादा हावी होंगी और तनाव बढ़ेगा। स्थितियों का सामना करने की तैयारी रखना ही समझदारी है। तनाव का सबसे बड़ा कारण भी तनाव ही होता है, जब बार-बार इंसान के मन में यह बिठा दिया जाता है कि तनाव नहीं करना चाहिए। तनाव बुरी चीज है, तो जब थोड़ा सा भी तनाव उसे होता है, तो वह उससे परेशान होने लगता है और जो उसे तनाव हो गया उसी बात को लेकर और अधिक तनाव में आ जाता है।
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