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Showing posts from December, 2019

चतुर से अधिक चतुराई मत किजिए chatur say adhik chaturai mat kijiye

एक किसान ने पड़ोस के किसान से एक हंडा उधार लिया।वह उसमें मक्खन पिघलाने के लिए आग जला रहा था कि इतने में कहीं से एक बिल्ली आई और हंडे पर पैर रखकर खड़ी हो गई। यह देख उसने बिल्ली को भगाया। बिल्ली पीछे की और कूदी और हंडा भी साथ में गिरकर दो टुकड़े हो गया। उस किसान में गोंद से दोनों टुकड़े जोड़ दिए और पड़ोस के किसान के पास ले जाकर उससे बोला, "यह लो अपना हंडा।" पड़ोसी ने देखा, हंडे में दरार थी। उसने पूछा, "यह क्या है ?" किसान ने कहा, "मुझे नहीं मालूम।" फिर वह अपने घर वापस चला गया। पड़ोसी ने अदालत में फरियाद की। किसान ने वकील से सलाह मांगी। वकील ने सब - कुछ सुनकर कहा, "जो कुछ हुआ है, उसके लिए क्योंकि कोई गवाह नहीं है, इसलिए तीन तरह से बात की जा सकती है। तुम कह सकते हो कि जब तुमने हंडा उधार लिया था तभी वह टूटा हुआ था। या कह सकते हो कि तुम्हारे वापस देने के बाद वह टूट गया था। यह भी कर सकते हो कि तुमने हंडा लिया ही नहीं था।" यद्यपि हंडे का दाम चार आना ही था, तो भी किसान वकील को एक रूपया देकर आया। अगले दिन अदालत में सुनवाई हुई। किसान ने न्यायाधीश से यों कहा

विश्वास है तो आप कामयाब हो.. vishwas hai to aap kamyab ho..

सफलता का मतलब है.... अमीरी - शानदार घर, मजेदार छुट्टियां, यात्रा, नई चीजें, आर्थिक सुरक्षा, अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा खुशाली देना। सफलता का मतलब है प्रशंसा का पात्र बनना, लीडर बनना, अपने बिजनेस और सामाजिक जीवन में सम्मान पाना। सफलता का मतलब है आजादी - चिंताओं, डर कुंठाओं और असफलता से आजादी। सफलता का मतलब है आत्म - सम्मान, जिंदगी का असली सुख और जीवन में संतुष्टि, जो लोग आप पर निर्भर है उनके लिए अधिक से अधिक करने की क्षमता। सफलता - उपलब्धि - मनुष्य के जीवन का लक्ष्य है। यकीन कीजिए, सचमुच यकीन कीजिए कि आप पहाड़ हिला सकते हैं, और आप वाकई ऐसा कर सकते हैं। ज्यादातर लोगों को यह यकीन ही नहीं होता कि उनमें पहाड़ हिलाने की क्षमता है। इसका परिणाम यह होता है कि वह ऐसा कभी नहीं कर पाते। 'मुझे विश्वास है कि मैं यह कर सकता हूं' वाला रवैया हमें वह शक्ति, योग्यता और ऊर्जा देता है जिसके सहारे हम वह काम कर पाते हैं। जब आपको यकीन होता है कि आप कोई काम कर सकते हैं, तो आपको अपने आप पता चल जाता है कि इसे कैसे किया जा सकता है । जिस आदमी को विश्वास होता है कि वह काम कर लेगा, उसे हमेशा उस काम को क

खिलाने वाले का नहीं,मगर गिराने वाले का नाम जरूर होता है। Khilane wale ka Nahin magar girane wale ka naam jarur hota hai.

बहुत ही पुरानी बात है । जब मैं बहुत छोटा हुआ करता था मेरी बहनें मुझे सभी बड़ी है। मैं छोटा था घर में मेरी बहनों की शादी हो गई थोड़े ही दिनों में उनके घर एक छोटा मेहमान भी आ गया। सभी घरवाले अड़ोस पड़ोस के लोग उस नन्हे मेहमान को प्यार करने लगे । मेरी बहन जब भी बाजार जाती या घर का कुछ काम करती तो उस छोटे मेहमान को संभालने की जिम्मेदारी मेरी होती थी । मैं बड़े प्यार से उस बालक के साथ खेलता उसे संभालता उसकी देखरेख करता था। एक दिन कुछ मेरे दोस्त भी खेलने चले आए और मैं खेलने में इतना मशगूल हो गया कि मुझे इस बात का ध्यान ही नहीं रहा कि उस छोटे बालक की जिम्मेदारी मुझे सौंपी गई है । मैं दोस्तों के साथ खेल खेलने में मस्त था । बालक की तरफ जरा सा भी ध्यान नहीं था । क्योंकि मैं भी छोटा था और बालक आराम से पलंग पर सो रहा था अचानक पता नहीं हम बच्चों की शोर की वजह से वह छोटा बालक उठ गया और पलंग से सरकते हुए जमीन पर गिर पड़ा । भगवान का शुक्र है कि बालक को कोई गंभीर चोट नहीं आई पर जब मेरी बहन को इस बात का पता चला तो हमारे पूरे घर के सदस्यों ने मुझे बहुत फटकार लगाई और गुस्से से दो-तीन तमाचे भी जड़ दिए । आज

अहंकार दीवार है और समर्पण द्वार है।-ahankaar deewar hai aur samarpan dwar hai.

एक छोटी - सी घटना है। एक चोर प्रतिदिन चोरी करता था ।एक दिन पूरी रात इधर उधर घूमता रहा था,कहीं चोरी का दाव न लगा। सुबह हो चली थी। उदास और निराश वापस घर लौट रहा था। रास्ते में शिवजी का मंदिर पड़ा। सोचा आज तो मुहूर्त ही ठीक नहीं था। चलो शिव जी को प्रणाम कर लूं, हो सकता है कल का मुहूर्त ठीक हो जाए । मंदिर में गया। शिव जी को प्रणाम किया। मंदिर में इधर-उधर दृष्टि दौड़ाई तो वहां कुछ नहीं था । ऊपर देखा तो शिव जी की मूर्ति पर एक घंटा लटक रहा था। फिर क्या था? चोर ने सोचा - आज तो कुछ मिला नहीं, घर खाली कैसे जाऊं ? और फिर भगवान के दरवाजे से तो कोई खाली नहीं जाता। चलो घंटा ही चुरा लेता हूं ।कुछ तो काम चलेगा। घंटा बहुत ऊंचा था। उसका हाथ उस पर पहुंच नहीं पा रहा था ।अब क्या करें ? हड़बड़ी में उसे कुछ सूझा नहीं तो घंटा चुराने के लिए मूर्ति पर ही चढ गया। ज्योंही वह मूर्ति पर चढ़ा , शिव जी प्रकट हो गए। बोले- वत्स !मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूं ।घंटा वंटा छोड़ ,आज मुझसे मांग ले तुझे क्या चाहिए? चोर तो घबरा गया ।उसने सोचा - बुरे फंसे। वह क्षमा - याचना करने लगा । शिवजी बोले- घबरा मत ! मैं पुलिस वाला नहीं

संसार कीचड़ हैं मगर कीचड़ में ही कमल खिलता है। Sansar kichad hai magar kichad mein hi Kamal khilta hai.

एक बार एक शिष्य ने गुरु से पूछा - गुरुजी ! विवाह करना कितना आवश्यक है । जरा आप मुझे बताइए गुरु जी ने कहा - ध्यान रखना - विवाह सर्वथा अछूत नहीं है । माना कि संसार कीचड़ है लेकिन ध्यान रखें, इसी कीचड़ में कमल खिलता है। दुनिया के अधिकतर महापुरुष, तीर्थंकर - पुरुष विवाहित थे। भारतीय संस्कृति में गृहस्थ जीवन को भी आश्रम का दर्जा दिया गया है । भारतीय मनीषा शुरू से ही इस बात की पक्षधर रही है कि जो लोग अपनी उर्जा को पूरी तरह से ध्यान - समाधि में नहीं लगा सकते, ऊर्जा का ऊध्वारोहण नहीं कर सकते वे लोग गृहस्थ जीवन में प्रवेश कर धर्म का निर्वाह करें। काम में भी राम की तलाश जारी रखें ,कीचड़ में कमल की साधना करें । कमल का कीचड़ में रहना और मनुष्य का संसार में रहना बुरा नहीं है । बुराई तो यह है कि कीचड़ कमल पर चढ़ आये और संसार हृदय में समा जाए । तुम कमल हो, तुम्हारा परिवार कमल की पंखुड़ियां है तथा संसार कीचड़ हैं। कीचड़ में कमल की तरह जी सके तो गृहस्थआश्रम भी किसी तपोवन से कम महत्वपूर्ण नहीं है। सभी कमल कीचड़ में ही खिलते हैं। राम ,कृष्ण, बुद्ध, महावीर इसी कीचड़ में खिले ।आचार्य कुंदकुंद - जिनसेन इसी