आप लोग वृक्ष की जड़ को न सींच कर शाखाओं पर पानी डालने लग गए हैं, की वृक्ष हरा भरा रहे। वस्तुतः जड़ों को सींचने से ही पेड़ हरा भरा रह सकता है। आज के बच्चों का जीवन विनाश की ओर जा रहा है इसमें बच्चों का नहीं माता-पिता का दोष है। आप सभी जानते हैं कि शरीर की रचना वीर्य से होती है। रज और वीर्य अन्न से बनता है। सर्वप्रथम माता-पिता को सात्त्विक आहार करना चाहिए। सात्विक आहार से संतान भी अच्छी बनती है। माता बच्चे को दूध पिलाती है यदि वह दूध होटल के समोसे और पकोड़े से बना है तो बच्चा बड़ा होकर चाट मसाले की दुकान की ओर ही बढ़ेगा। अतः संतान को संस्कारी बनाने के लिए भोजन का संतुलन अवश्य रखना चाहिए। मां की गोद बच्चे की पहली पाठशाला है। जहां पर बालक के चरित्र के बीज बोए जाते हैं। बच्चे वही करते हैं जो देखते हैं। आप बच्चे को जैसा बनाना चाहते हो पहले स्वयं का जीवन भी वैसा ही बना लीजिए। यदि आप चाहते हैं कि मेरा बच्चा कभी झूठ ना बोले तो पहले आपको सत्यवादी बनना पड़ेगा। यदि आप चाहते हैं कि मेरा बच्चा गाली ना दें तो आपको भी मीठी भाषा का प्रयोग करना चाहिए। क्योंकि बच्चे अनुकरण शील होते हैं। आज हमारी माताएं
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